कोर्ट मैरिज के लिए आपको कुछ नियम और शर्तो को पूरा करना होता है। नीचे आर्टिकल में Court Marriage Rules In Hindi दिए गए ह। इसकी आसान प्रक्रिया आप जान सकेंगे। सबसे पहले जानते है की Court Marriage होता क्या है।
कोर्ट मैरिज क्या है:
कोर्ट मैरिज वह मैरिज है जिसमें विवादों या कानूनी समस्याओं के कारण जोड़े को अदालत में जाना पड़ता है। यह एक समयानुसारी प्रक्रिया है जिसमें कई चरण होते हैं, और इसमें समाधान के लिए अदालत या उच्चतम न्यायालय से सहायता ली जा सकती है।
कोर्ट मैरिज के कारण:
- विभिन्न सामाजिक दबाव: कई बार, सामाजिक दबाव के कारण जोड़े को एक-दूसरे के साथ रहने की ज़रूरत महसूस होती है, लेकिन वे अदालती दायरे में आकर अपने विवादों का समाधान करना चाहते हैं।
- संबंधीयों के बीच समझौता नहीं होना: विवादों के समाधान के लिए यदि संबंधीयों के बीच समझौता नहीं होता है, तो वे अदालत की ओर बढ़ते हैं।
- धारा 498-ए के तहत किए जाने वाले केसेस: धारा 498-ए के तहत किए जाने वाले दहेज़ केसेस और अन्य वैवाहिक अपराध इस तरह की मैरिज के कारण हो सकते हैं।
कोर्ट मैरिज के लाभ:
- न्यायिक समाधान: इस प्रक्रिया से विवादों का न्यायिक समाधान होता है जिससे व्यक्तियों को अपना अधिकार मिलता है।
- कानूनी सुरक्षा: कोर्ट मैरिज के दौरान व्यक्तियों को कानूनी सुरक्षा मिलती है, और उन्हें अपने अधिकारों का पालन करने का अधिकार होता है।
- समय की बचत: इसमें समय-समय पर होने वाले सुनवाई की आवश्यकता के बजाय, एक बार में ही समस्या का समाधान हो सकता है।
कोर्ट मैरिज कैसे करें? नियम और शर्तें
- यदि आप कोर्ट मैरिज करना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे पहले आपको आवेदन करना होगा।
- इसके लिए आपको रजिस्ट्रार को नोटिस देना होता है।
- कोर्ट मैरिज से पहले वर- वधु और गवाहों को विवाह अधिकारी के समक्ष एक घोषणा पत्र पर अपने हस्ताक्षर करने होते हैं।
- कोर्ट मैरिज करने वाले जोड़े पहले से किसी शादी के बंधन में न बंधे हों।
- यदि किसी लड़का या लड़की का पूर्व में विवाह हुआ हो तो वह वैध न हो या पहली शादी से जुड़े पति या पत्नी की मृत्यु हो चुकी हो।
- यदि लड़का लड़की एक दूसरे के रिश्तेदारी में भाई-बहन लगते हैं, तो इस स्थिति में भी हिन्दू धर्म के लड़की लड़का एक दूसरे से कोर्ट मैरिज नहीं कर सकते।
- शादी करने वाले लड़का या लड़की दोनों की मानसिक और शारीरिक स्थिति सही होनी चाहिए।
- कोर्ट मैरिज किसी भी धर्म या जाति के बीच हो सकती है। लेकिन इसके लिए लड़का और लड़की दोनों का बालिग होना आवश्यक है।
- लड़के की आयु 21 और लड़की की आयु 18 से ऊपर होनी चाहिए।
- शादी के समय दोनों पक्ष वर और वधु दोनों की सहमति होनी जरूरी है।
- दोनों पक्ष स्वेछा से शादी में शामिल होने चाहिए।
- विवाह की इच्छा रखने वाले लड़का-लड़की दोनों में से किसी एक ने अपने विवाह की सूचना देने से पूर्व 30 दिनों तक उसी शहर में निवास किया हो जहाँ वह शादी करना चाहते हैं।
जानें कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन प्रक्रिया
- लड़का और लड़की जो शादी करना चाहते हैं इसकी लिखित सूचना अपने जिले के विवाह अधिकारी को देंगे।
- सूचना देते समय आपको अपनी आयु और निवास स्थान (रेजिडेंस) के जरूरी दस्तावेजों को भी देना होता है।
- विवाह अधिकारी द्वारा इस सूचना को प्रकाशित किया जाता है।
- आपके द्वार दी गयी सूचना की एक फोटो कॉपी ऑफिस में एक विशिष्ट स्थान पर लगायी जाती है।
- सूचना की दूसरी प्रति उस ज़िला कार्यालय में विवाह पक्ष के जहाँ स्थाई रूप से निवासी कर रहे हैं वहां पर प्रकाशित की जाती है।
- विवाह अधिकारी की उपस्थिति में दोनों पक्ष यानी लड़का लड़की और तीन गवाह, कोर्ट मैरिज के घोषणा पर हस्ताक्षर करते हैं।
- इसके बाद अधिकारी इस घोषणा पर हस्ताक्षर करता है।
- इसके बाद court marriage, विवाह अधिकारी के ऑफ़िस में या इसी के आस पास उचित दूरी के भीतर किसी भी स्थान पर सम्पन्न किया जाता है।
- विवाह अधिकारी की उपस्थिति में वर और वधू का फाॅर्म स्वीकार किया जाता है।
- विवाह अधिकारी द्वारा मैरिज सर्टिफिकेट पत्र पुस्तिका में एक प्रमाण पत्र दर्ज करता है।
- यदि दोनों पक्षों वर और वधु और अन्य तीन गवाहों द्वारा हस्ताक्षर कर लिए जाते हैं तो यह सर्टिफिकेट Court Marriage का निर्णायक प्रमाण होता है।
Court marriage faq india (FAQs)
- कोर्ट मैरिज क्या है?
- कोर्ट मैरिज वह मैरिज है जिसमें विवादों या कानूनी समस्याओं के कारण जोड़े को अदालत में जाना पड़ता है।
- कोर्ट मैरिज के लिए कैसे आवेदन करें?
- कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन करने के लिए आपको अपने क्षेत्र के अदालत में आवश्यक दस्तावेज़ साथ में जमा करना होगा।
- कोर्ट मैरिज के दौरान कितना समय लगता है?
- कोर्ट मैरिज का प्रक्रियात्मक समय विभिन्न कारणों पर निर्भर करता है, लेकिन इसमें कई महीने या साल लग सकते हैं।
- कोर्ट मैरिज के लाभ क्या हो सकते हैं?
- कोर्ट मैरिज के माध्यम से विवादों का न्यायिक समाधान हो सकता है और संबंधीयों को कानूनी सुरक्षा मिल सकती है।
- कोर्ट मैरिज के दौरान कौन-कौन सी प्रक्रियाएं होती हैं?
- कोर्ट मैरिज के दौरान विभिन्न प्रक्रियाएं शामिल हो सकती हैं, जैसे सुनवाई, साक्षर, और समझौता।
- क्या कोर्ट मैरिज के बाद फिर से विवाद हो सकता है?
- हाँ, कोर्ट मैरिज के बाद भी विवाद हो सकता है, लेकिन इस पर अदालत को समाधान करने का कार्य हो सकता है।
- कोर्ट मैरिज से जुड़े खर्च कैसे होते हैं?
- कोर्ट मैरिज के लिए जुड़े खर्च न्यायिक फीस, वकील की फीस, और अन्य कानूनी खर्चों से हो सकते हैं।
- कोर्ट मैरिज से बचाव के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
- विवादों से बचाव के लिए संबंधीयों को समझौता करने का प्रयास करना चाहिए और यदि यह संभव नहीं है, तो पेशेवर सलाह लेना उचित है।
- कोर्ट मैरिज के बाद कैसे जीवन यापन करें?
- कोर्ट मैरिज के बाद जीवन यापन करने के लिए संबंधीयों को समझदारी और सहमति के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
- कोर्ट मैरिज के बाद बच्चों की हकीकत क्या हो सकती है?
- कोर्ट मैरिज के बाद बच्चों की हकीकत का समाधान भी अदालत द्वारा किया जा सकता है, जो उनके हितों को मध्यस्थ करने का प्रयास करेगी।